कल्पना मात्र

तुम तो कल्पना मात्र से सृष्टि को बना देते हो
कोई हद नहीं तुम्हारी और मर्यादा का पता देते हो

तुम तो महा मानव हो और सब कुछ तुम्हें गंवारा है
हमारे बारे में तो सोचो माया के जाल बिछा देते हो

मुमकिन है आ शरण में तेरी हर गुनाह से मैं बच जाऊं
मेलों में सजी दुकानों में घुसते ही दगा देते हो

हर शय जो हमें भाती है क्यूँ दुःख देकर ही लुभाती है
उसको जो पकड़ना चांहे इधर दामन तुम छुड़ा लेते हो

तुम जो बचना चाहो तुम्हें भला कौन फँसा सकता है
यहाँ तो बच बच के धंसते जाएँ और तुम मज़ा लेते हो

हाथ भले ही मैंने छुड़ाया पर तुमने भी कहाँ खैंच लगाई
हम जो गिरें गर कुँए में तुम उसकी खाई बना देते हो

यार तुमसे तो मेरी माँ ही भली गलती पर डांटती मरती है
तुम तो साक्षी बन कर भी हर बात दबा देते हो

फिर वाह क्या कहने तेरे घर में देर है अंधेर नहीं
आज नहीं तो कल हर गलती की सजा देते हो

तुम तो कल्पना मात्र से सृष्टि को बना देते हो
कोई हद नहीं तुम्हारी और मर्यादा का पता देते हो